तेल के नाम पर ‘जहर’ खा रहे 2023: खुला सरसों का तेल मिलावटी, रिफाइंड से दिल को खतरा, राइस ब्रान ऑयल बेस्ट-Very Useful

तेल के नाम पर ‘जहर’ खा रहे 2023: होली आने में कुछ ही दिन बचे हैं। लोग खाने-पीने का सामान जुटा रहे हैं। पकवान, गुजिया, दही भल्ला, दही बड़े से लेकर तरह-तरह के व्यंजन बनाने की तैयारी की जाएगी। इन सभी रेसिपीज को बनाने के लिए सबसे जरूरी चीज है तेल। घरों में सरसों के तेल और रिफाइंड तेल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। लेकिन क्या यह तेल हमारी सेहत के लिए सही है? आइए जानते हैं।

खुला सरसों तेल में मिला हो सकता है ऑर्गेमोन

खुले सरसों के तेल का सेवन स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित नहीं है। ऐसे तेल में मिलावट भी हो सकती है। हम यह भी नहीं जानते कि तेल खाने लायक है या नहीं। इन तेलों में ओरगेनोम मिलने की आशंका रहती है या अन्य निम्न गुणवत्ता वाले तेल भी मिल सकते हैं। ऐसे तेल में पोषक तत्व बहुत कम हो जाते हैं।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में कृषि विज्ञान संस्थान के सहायक प्रोफेसर डॉ. एसके गोयल कहते हैं कि सरसों की तरह ऑर्गेनिक में भी पीले फूल आते हैं। इसके दाने भी सरसों के समान होते हैं। अगर दोनों तरह के दानों को मिला दिया जाए तो मिलावट का पता लगाना मुश्किल होता है। इन दोनों से निकाला गया तेल जहरीला होता है। ऐसे तेल में पका खाना खाने से महामारी जलोदर रोग हो सकता है।

छिन सकती है आंखों की रोशनी

यह पूछे जाने पर कि क्या ऑर्गेनोमोन की थोड़ी मात्रा भी हानिकारक होती है, डॉ. गोयल बताते हैं कि ऑर्गेनोमोन जहरीला होता है। इसकी थोड़ी मात्रा से भी पूरा तेल जहरीला हो जाता है। ऐसे तेल को खाने से शुरुआत में उल्टी और दस्त की शिकायत हो जाती है। फिर पैरों में सूजन आ जाती है, शरीर के कई हिस्सों में लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। इसमें व्यक्ति को ग्लूकोमा हो सकता है। आंखों की रोशनी जा सकती है। हृदय और श्वास संबंधी रोग हो सकते हैं।

एनीमिया होने का रहता है खतरा

द जर्नल ऑफ एंटी-ऑक्सीडेंट्स एंड रेडॉक्स सिग्नलिंग में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, सरसों के तेल में अंग मिलाने से ऑक्सीडेटिव तनाव होता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे किडनी खराब हो सकती है, एनीमिया का भी खतरा होता है।

फूड एनालिस्ट चतुर्भुज मीणा का कहना है कि पहले ट्रैप से सरसों के तेल की शुद्धता का पता लगाया जाता था, लेकिन अब यह कारगर नहीं है। अब इसमें ऐसे रसायन मिलाए जा सकते हैं, जिससे सरसों के तेल की तीखी सुगंध (झाग) पैदा हो। साथ ही तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए इसमें कभी सोयाबीन तो कभी राइस ब्रान का तेल डाला जाता है। वैसे तो ये दोनों तेल खाने योग्य होते हैं, लेकिन ये सरसों के तेल की पौष्टिकता को कम कर देते हैं।

तेल मिलावटी है या नहीं इसकी पहचान करना आसान नहीं है। क्या घर में इसकी जांच की जा सकती है, आइए इस ग्राफ से समझते हैं-

फिर कौन सा सरसों तेल खाएं

पैक किया हुआ सरसों का तेल खाएं, अच्छे ब्रांड का। डॉ. गोयल बताते हैं कि पैकेज्ड ऑयल पर fssai (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) सर्टिफिकेशन है या नहीं, इसकी जांच जरूरी है. अगर किसी ब्रांड पर FSSAI का लोगो नहीं है तो समझ लें कि उसमें मिलावट हो सकती है। कई बार लोग बाजार से सरसों खरीदकर मिल को दे देते हैं। तब यह ध्यान रखना चाहिए कि सरसों में कोई अंग नहीं होता है। इसका इलाज भी मिल में देखा जाए।

राइस ब्रान ऑयल से कम होता है कोलेस्ट्रॉल

राइस ब्रान का तेल राइस ब्रान से तैयार किया जाता है। इसमें मूल होता है, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। तेल में मौजूद ‘गुड फैट’ वजन कम करने में मदद करता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स मेटाबॉलिज्म को बढ़ाते हैं। शरीर से खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करें। यह तेल इंसुलिन प्रतिरोध में सुधार करता है।

जर्नल नेचर में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, इस तेल के इस्तेमाल से कोलेस्ट्रॉल 42% और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल 62% तक कम हो जाता है। राइस ब्रान ऑयल को टोकोफेरोल और टोकोट्रिएनोल्स का एक बड़ा स्रोत माना जाता है। ये फ्री रेडिकल्स की समस्या को दूर कर कैंसर बनाने वाली कोशिकाओं को भी रोकते हैं।

तेल के नाम पर 'जहर' खा रहे 2023
तेल के नाम पर ‘जहर’ खा रहे 2023

क्या रिफाइंड ऑयल का सेवन करना चाहिए?

क्या आपने कभी सरसों के तेल की न्यूट्रिशनल वैल्यू और रिफाइंड ऑयल की न्यूट्रिशनल वैल्यू में अंतर देखा है? आप पाएंगे कि रिफाइंड तेल में पोषक तत्वों की मात्रा बहुत कम होती है। 100 ग्राम सरसों के तेल में उसी रिफाइंड तेल की तुलना में मोनोअनसैचुरेटेड (60 ग्राम) की मात्रा दोगुनी होती है। डॉ. गोयल बताते हैं कि रिफाइंड तेल यानी इसे बार-बार रिफाइंड किया गया है। इसके उपचार में तेल को उच्च तापमान पर रखा जाता है और फिर काफी कम कर दिया जाता है।

गर्म करने और ठंडा करने की प्रक्रिया कई बार की जाती है। इस दौरान हेक्सेन जैसे केमिकल का भी इस्तेमाल किया जाता है, जो तेल की गुणवत्ता को खराब कर देता है। इसमें कई तरह के केमिकल्स का भी इस्तेमाल किया जाता है, जिससे कैंसर, डायबिटीज, हार्ट और किडनी की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।

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निष्कर्ष – तेल के नाम पर ‘जहर’ खा रहे 2023

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Sources –

bhaskar

सब एडिटर (इंटरनेशनल डेस्क) naukaritime (news.naukaritime.com/). पत्रकारिता का अनुभव 1.5 साल. अमर उजाला से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद news.naukaritime.com में नई पारी का आगाज किया है. राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय खबरों के लेखन में दिलचस्पी.

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