Uniform Civil Code:- यूसीसी का मतलब है आम नागरिकों के लिए एक कानून, यानी सभी धर्मों के लिए एक ऐसा कानून जो सभी लोगों के लिए समान हो। और एक ऐसा कानून जो न तो आपराधिक है और न ही सांप्रदायिक बल्कि सभी धर्मों के लिए एक है। वैसे तो हमारे देश में दो तरह के कानून हैं। पहला क्रिमिनल लॉ और दूसरा सिविल लॉ आइए जानते हैं क्रिमिनल और सिविल लॉ क्या है?
Criminal law:- क्रिमिनल कानून सभी धर्मों के लिए एक है । क्यों की हत्या ,चोरी ,डकैती और दूसरे अपराधों के लिए जो सजा है वही सजा और बाकि धर्मो के लिए भी है।
अब जानते है सिविल कानून क्या है?
आज भी हमारे देश में नागरिक कानून को लेकर कोई समान कानून नहीं है। सिविल लॉ यानी शादी, संपत्ति और तलाक से जुड़े कानून आपको बता दें कि भारत के ऐसे मामलों में जैन, सिख और बौद्ध धर्म के लोग एक ही कानून के तहत आते हैं।
लेकिन यह कानून भारत के मुसलमानों, ईसाइयों और पारसी धर्म के लोगों पर लागू नहीं होता है क्योंकि इन सभी धर्मों का अपना कानून है जिसे प्रस्नोल कहा जाता है।
अगर हम समान नागरिक संहिता की बात करें जिसे यूसीसी कानून कहा जाता है। अगर यूसीसी एक्ट भारत में लागू होता है तो भारत के सभी लोग उसी कानून के दायरे में आ जाएंगे। और तभी भारत का संविधान सही मामले में एक समान और धर्मनिरपेक्ष हो पाएगा।
क्योंकि भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता की बात करता है। और यह भी कहा जाता है कि भारत में एक समान कानून निरपेक्षता होनी चाहिए। लेकिन दूसरी ओर, हमारे भारत देश में अन्य अलग-अलग कानून हैं।
भारत का कानून (Uniform Civil Code)
जैसा कि भारत कहता है, 18 वर्ष से कम आयु की लड़की या लड़के की शादी हो जाती है। यह सदी अमान्य होगी और आप भी जानते हैं कि इस सदी को अवैध साड़ी कहा जाएगा।
लेकिन इसी मुस्लिम कानून के मुताबिक अगर किसी लड़की की शादी 15 साल की उम्र में हो जाती है तो वो भी सम्मानजनक होगी और गैरकानूनी नहीं मानी जाएगी.
आपको बता दें कि (यूसीसी) कानून को हमेशा राजनीतिक नजरिए से देखा जाता है। कई दल मुस्लिम विचारों के लिए उनका विरोध भी करते रहे हैं। लेकिन भाजपा ने अपने शुरुआती साल में क्या वादा किया था. इनमें से एक वादा समान नागरिक संहिता का था।
सरकार ने अब तक अपने सभी वादे जैसे तीन तलाक, राम मंदिर का निर्माण पूरा किया है, अब समान नागरिक संहिता की बारी है जिसके लिए भारत के लोग बिल्कुल तैयार हैं। ऐसा भी हो सकता है कि कुछ ही महीनों के भीतर आपको यह कानून देखने को मिल जाए।
आइये जानते है Uniform Civil Code में क्या होगा?
लड़कियों की शादी करने की उम्र बढ़ाई जाएगी ताकि सभी लड़कियां ग्रेजुएट हों।
- ग्रामीण स्तर पर साड़ी के पंजीकरण की सुविधा होगी।
- तलाक के लिए पति-पत्नी दोनों को बराबर माना जाएगा।
- बलबीबा पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
- वारिस में लड़का और लड़की दोनों की बराबर की हिस्सेदारी होगी।
- पत्नी की मृत्यु के बाद अगर उसके माता-पिता अकेले हैं तो पति ही उनका सहारा बनेगा।
- अगर नौकरी में पति की मौत हो जाती है तो पत्नी को तो नौकरी मिलेगी ही, माता-पिता को भी बराबर की हिस्सेदारी होगी।
- लव इन रेलेशन का देना होगा डिक्लिरेसँन ।
Uniform civil code का क्या पड़ेगा किस धर्म पर असर?
✨हिंदू :- अगर हिंदू मैरिज एक्ट 1955 और हिंदू सेक्शन एक्ट 1956 लाया जाता है तो हिंदू मैरिज एक्ट 1956 में संशोधन करना जरूरी होगा। उदाहरण के लिए, हिंदू विवाह अधिनियम की धारा (2) में कहा गया है कि इसमें प्रावधान अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होते हैं। यूसीसी में ऐसे किसी अपवाद को शामिल नहीं किया जाएगा।
✨इस्लाम :- मुस्लिम प्रसनोल एप्लीकेशन एक्ट 1937 में कहा गया है कि शरिया या इस्लामिक कानून से सादिया या तलाक इसके मुताबिक होगा, अगर इसमें यूसीसी को शामिल किया जाता है तो शरीयत को कानून के तहत न्यूनतम उम्र में बदल दिया जाएगा। साथ ही एक से अधिक पत्नियां रखने का कानून खत्म हो जाएगा।
✨शिख:- विवाह अधिनियम 1901 के तहत, समुदायों के पास उनके सादिया हैं। लेकिन खास बात यह है कि इसमें तलाक का कोई साधन नहीं है। अगर पति-पत्नी अलग हो जाते थे तो हिंदू मैरिज एक्ट पर विचार किया जाता था। अगर यूसीसी आती है तो आनंद एक्ट के दायरे में आने वाले सभी सादिया समुदाय एक कानून के तहत आ जाएंगे.
✨पारसी :- पारसी मैरिज एक्ट और तलाक एक्ट 1936 के तहत कहा गया है कि अगर कोई पारसी महिला दूसरी जाति में शादी करती है तो अगर पारसी समुदाय में गोद ली गई बेटियों को भी उनके अधिकारों के लिए मान्यता नहीं दी जाती है तो वह पारसी परंपराओं से जुड़े सभी अधिकार खो देगी। जबकि एक दत्तक पुत्र अपने पिता का अंतिम संस्कार कर सकता है। अगर इसमें कोई यूसीसी है तो सभी पर एक जैसा कानून लागू होगा।
✨ईसाईं :- ईसाई समुदाय में समान नागरिक संहिता लागू होने से उत्तराधिकार गोद लेने और उसकी विरासत जैसी चीजों पर असर पड़ेगा। अगर कोई शादीशुदा जोड़ा अलग होना चाहता है तो उसे तलाक के लिए 2 साल तक अलग रहना होगा। एक्ट 1925 की इसी धारा में कहा गया है कि मां की मौत के बाद बच्चों को उनकी संपत्ति पर अधिकार नहीं मिलेगा। अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड आ जाता है तो यह नियम खत्म हो जाएगा।
निष्कर्ष – Uniform Civil Code 2023
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