RBI News:- कई लोगों के मन में ये सवाल होता है कि आखिर नोट की छपाई करने में कितना खर्च आता होगा। ऐसे में आज हम आपको अपनी इस खबर भारतीय करेंसी के बारे में विस्तार से बताने जा रहे है। अगर आप भी नहीं जानते है तो चलिए आइए जानें इस खबर में…
भारत में मुद्रा के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द ‘रुपया’ पहली बार शेर शाह सूरी द्वारा इस्तेमाल किया गया था। वहीं, भारत में पहला वॉटरमार्क करेंसी नोट 1861 में ब्रिटिश शासन के दौरान छापा गया था।
हालांकि, बाद में इसकी लागत अधिक होने के कारण इसे बंद कर दिया गया था। हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये मूल्यवर्ग के मुद्रा नोटों को वापस लेने की घोषणा की है।
केंद्रीय बैंक ने यह भी साफ किया है कि ये करेंसी नोट पूरी तरह से वैध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लोग अपने पास रखे 2000 रुपये के नोट ों को 30 सितंबर तक बैंक से बदलवा सकते हैं।
रिजर्व बैंक ने काफी समय पहले 2000 रुपये मूल्यवर्ग के नोटों की छपाई बंद कर दी थी। अब बाजार में मौजूद 2000 रुपये के नोट ों को वापस लिया जा रहा है क्योंकि कम मूल्य के पर्याप्त नोट चलन में आ गए हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि नोट कैसे और कहां छापे जाते हैं?
कौन उन्हें मुद्रित करने का निर्णय लेता है? उन्हें छापने के लिए कागज और स्याही कहां से आती है? इसका कागज किससे तैयार किया गया है? ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब हम आपको बता रहे हैं जो आपके मन में आए।
कौन और कहां छापता है करेंसी नोट
आरबीआई करेंसी नोट छापने का काम करता है। वहीं भारत सरकार सिक्कों को ढालने का काम करती है। देश में चार करेंसी नोट प्रिंटिंग प्रेस और चार सिक्का टकसाल हैं।
मध्य प्रदेश के देवास, महाराष्ट्र के नासिक, कर्नाटक के मैसूर और पश्चिम बंगाल के सालबोनी के प्रेस में नोट छापे जाते हैं। देवास प्रेस की शुरुआत 1975 में हुई थी और यह सालाना 20, 50, 100 और 500 रुपये के कुल 265 करोड़ नोट छापता है।
देश की पहली प्रेस की शुरुआत साल 1926 में नासिक में हुई थी, जिसमें 1, 2, 5, 10, 50, 100 और 1000 के नोट छापे जाते हैं। इनमें से कुछ नोटों की छपाई अब बंद हो गई है। मैसूर प्रेस 1999 में और सालबोनी 2000 में शुरू किया गया था।
कहां बनता है करेंसी नोट का कागज
मध्य प्रदेश के देवास और महाराष्ट्र के नासिक में प्रेस का नेतृत्व केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत भारतीय प्रतिभूति मुद्रण और मुद्रा निर्माण निगम करता है।सालबोनी और मैसूर में प्रेस भारतीय रिजर्व बैंक नोट प्रिंटिंग प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से संचालित होते हैं, जो भारतीय रिजर्व बैंक की सहायक कंपनी है। सिक्कों की ढलाई मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद और नोएडा में की जाती है।
करेंसी नोट तैयार करने के लिए कपास और विशेष स्याही से बने कागज का उपयोग किया जाता है। इस कागज के कुछ हिस्सों का उत्पादन महाराष्ट्र में करेंसी नोट प्रेस में और कुछ मध्य प्रदेश में होशंगाबाद पेपर मिल में किया जाता है। कुछ कागज जापान, ब्रिटेन और जर्मनी से भी आयात किए जाते हैं।
कहां बनती है नोट छापने की स्याही
मध्य प्रदेश के देवास में बैंकनोट प्रेस में नोटों की छपाई के लिए ऑफसेट स्याही बनाई जाती है। वहीं, करेंसी नोट पर छपी स्याही स्विस फर्म की सिक्किम स्थित यूनिट एसआईसीपीए में बनाई जाती है।
भारतीय रिजर्व बैंक की नोट छापने वाली स्याही इकाई वर्णिका भी कर्नाटक के मैसूर में स्थापित की गई है। इसका मकसद करेंसी नोटों की छपाई में भारत को आत्मनिर्भर बनाना है।
नकल से बचने के लिए हर साल विदेश से आयातित स्याही की संरचना में बदलाव किया जाता है। वर्तमान में भारत समेत दुनिया के 8 देशों की मुद्रा को रुपया कहा जाता है।
कैसे होती है करेंसी नोट की छपाई
विदेश या देश में बनी कागज की शीटों को एक विशेष मशीन सिमोंटन में डाला जाता है। इसके बाद करेंसी नोट को दूसरी मशीन इंटाब्यू से रंगा जाता है. इस तरह कागज की शीट पर नोट छापे जाते हैं.
इसके बाद उनकी कटाई-छंटाई का काम शुरू होता है. अच्छे और बुरे नोट अलग कर दिए जाते हैं. कागज की एक शीट पर 32 से 48 नोट छपते हैं। करेंसी नोटों की संख्या चमकदार स्याही से मुद्रित होती है।
करेंसी नोट में मौजूद चमकदार रेशों को पराबैंगनी प्रकाश में देखा जा सकता है। करेंसी नोट पेपर में कपास के साथ चिपकने वाले घोल और गैटलिन का उपयोग किया जाता है। इससे करेंसी नोटों का जीवन बढ़ जाता है।
कितनी होती है करेंसी नोट की उम्र
करेंसी नोट तैयार करते समय उनके सही रहने की अवधि यानी उम्र तय कर दी जाती है. यह अवधि पूरी होने या लगातार चलन में रहने के कारण नोटों में खराबी आने पर आरबीआई इन्हें वापस ले लेता है.
करेंसी नोट चलन से वापस लिए जाने के बाद इश्यू ऑफिस में जमा कर दिए जाते हैं. जब कोई नोट पुराना हो जाता है या दोबारा चलन में आने के लायक नहीं बचता है तो उसे बैंकों के जरिये जमा करा लिया जाता है.
बैंक इन्हें फिर बाजार में नहीं भेजते हैं. अब तक उन पुराने नोटों को जलाने का चलन था. अब रिजर्व बैंक ने 9 करोड़ रुपये की मशीन आयात की है. इसमें पुराने नोटों को छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए जाते हैा. इसके बाद टुकड़ों को गलाकर ईंट बना ली जाती है. ये ईंटें कई कामों में इस्तेमाल होती हैं.
किस नोट की छपाई में कितनी लागत
आरबीआई 10 रुपये के नोट छापने में सबसे ज्यादा समय बिताता है। 10 रुपये के नोट को छापने में 96 पैसे और 20 रुपये के नोट को छापने में 95 पैसे का खर्च आता है।
वहीं 50 रुपये के 1000 रुपये के करेंसी नोट छापने में 1130 रुपये, 100 रुपये के 1000 के नोट में 1770 रुपये का खर्च आता है। इसके अलावा आरबीआई को 200 रुपये के 1000 के नोट छापने के लिए 2370 रुपये और 500 रुपये के 1000 नोट छापने के लिए 2290 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।
बाजार में 200 और 500 रुपये के नोट की तुलना में 200 रुपये के नोट का अधिक उपयोग किया जाता है। इसलिए, इसे प्रिंट करने की लागत अधिक है।
निष्कर्ष – RBI News 2023
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